Tuesday, September 4, 2012

घर बनाते देखी हूँ ...

  घर बनाते देखी हूँ ...
                                    
तिनके जोड़ कर लोगों को  ....
घर बनाते देखी हूँ ...
बाढ़ में बहने से ....
घर बचाते देखी हूँ ...
गिरते हुए घर को .....
मजबूत करवाते देखी हूँ ...
और गुस्से में लोगों को ...
घर जलाते भी देखी हूँ ...
लेकिन , कभी गिराने के लिए ...
अपने ही हाथों से ...
किसी को घर सजाते नहीं देखी हूँ ....
                                            अंजु सिन्हा 

  

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