ज़िन्दगी ...
एक सुहाना सफ़र ...
या है तनावों का घर ?
ज़िन्दगी ...
एक ख़ुशनुमा स्वपन ...
या एक ख़्वाब, जिसमें भरा है ग़म ?
ज़िन्दगी ...
एक प्यार का गीत ...
या है ये दुखों की मीत ?
ज़िन्दगी ...
एक लाभदायक समझौता ..
या है ये सपनों का टुटा घरौंदा ?
ज़िन्दगी ...
पुरी होती चाह ...
या है एक कठीन राह ?
ज़िन्दगी ...
त्याग या बलिदान ...
या फिर ज़रूरत से ज्य़ादा खींची कमान ?
ज़िन्दगी ...
खुशियों का पैग़ाम ...
या फिर ग़मों की दास्तान ?
ज़िन्दगी ...
क्या ???
अंजु सिन्हा
जीते रहने की सजा..जिन्दगी ये जिन्दगी.....
ReplyDeleteबढ़िया...
अच्छी कविता |बधाई अंजू जी |
ReplyDeleteजिंदगी एक सवाल है.....
ReplyDeleteगुजर जाती है जवाब खोजते खोजते....
सुन्दर!!!!
अनु
सुख और दुख ...
ReplyDeleteयही जिंदगी है ...
अंजू जी बहुत अच्छी कविता है
ReplyDeleteज़िन्दगी ...
पुरी होती चाह ...
या है एक कठीन राह ?
आपकी ये पंक्तियाँ मुझे बहुत भाई