देखा है उसको ...
अपने बच्चों के लिए तड़पते हुए ...
उसकी सफलता पर अकड़ते हुए...
कष्टों में उसे सिहड़ते हुए ...
देखा है उसको ...
सुखी रोटी के तुकड़े निगलते हुए ...
पर बच्चों के पेट भरते हुए...
और अपने कर्तव्यों को करते हुए ...
देखा है उसको ...
ज़िन्दगी के संघर्षों से जूझते हुए...
मौत के कुएं में कूदते हुए...
दुःख के घुटों को घूंटते हुए...
देखा है उसको ...
माँ का पवित्र नाम बचाने के लिए ...
जहाँ के सारे दुःख अपने ऊपर लिए ...
बदले में हम सिर्फ उसे माँ कह दिए...
अंजु सिन्हा
मर्मस्पर्शी....
ReplyDeleteबहुत सटीक और सुन्दर लिखा है आपने
ReplyDeleteफुर्सत मिले तो आदत मुस्कुराने की पर ज़रूर आईये
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