धनतेरस
पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आरंभ धन त्रयोदशी से शुरू होता है ... धन त्रयोदशी के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विशेष महत्व है ... कार्तिक मास की कृष्ण त्रियोदशी को भगवान धन्वन्तरी का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है ... कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय आज के दिन ही भगवान धन्वन्तरी अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे ... इसलिए आज के दिन बर्तन खरीदने की परम्परा है ... आज के दिन सायंकाल को मुख्य द्वार पर दीपक जलाने की प्रथा भी सदियों से चली आ रही है ... इस प्रथा के पीछे एक लोकप्रथा है कि .... किसी समय में हेम नामक राजा को दैव कृपा से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई ... ज्योतिषों के मुताबिक़ जब बालक का विवाह होगा उसके चार दिन बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा ... राजा को इस बात से काफी दुःख हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह भेज दिया ... जहाँ किसी स्त्री की परछाई भी उसपर ना पड़े ... दैवयोग के दिन एक राजकुमारी उधर से गुज़री ... और दोनों एक दुसरे को देखकर मोहित हो गयी ... और दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया ... विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया ... और विवाह के चार दिन बाद यमदूत राजकुमार का प्राण लेने आ पहुंचे ... जब यमदूत राजकुमार का प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता राजकुमारी का विलाप सुनकर यमदूत का हृदय द्रवित हो उठा ... लेकिन विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना था .... यमराज जब यमदूत को आज्ञा दे रहे थे ... उसी समय एक दूत ने विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं, जिससे मनुष्य वकाय मृत्यु के लेख से मुक्त हो जाए ... दूत के अनुरोध सुनकर यमराज बोले ... हे दूत वकाय मृत्यु तो कर्म की गाति है ... लेकिन इससे मुक्ति पाने का एक आसान तरीका मई तुम्हे बताता हूँ ... कार्तिक कृष्ण पक्ष की रात को जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दक्षिण आज के दिन यमराज की पूजा अर्चना करने से असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है ... उसी समय से लोग अकाल मृत्यु ले मुक्ति पाने के लिए आज के दिन सायंकाल को अपने द्वार पर दीपक जलाते हैं ....
आज की भाग- दौड़ भरी जिंदगी और तेजी से बदलती जीवन शैली में भी धनतेरस की परंपरा कायम है ... सभी वर्ग के लोग कई महत्वपूर्ण चीज़े खरीदने के लिए इस पर्व का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं ... आज के दिन लोग सोने-चांदी के बर्तन, सिक्के और आभूषण खरीददारी करते हैं ....
बदलते दौर के साथ लोगों की पसंद भी बदल गयी है ... अब लोग बर्तन , आभूषण के आलावा वाहन, मोबाईल आदि भी ख़रीदे जा रहे हैं ... आज के दिन गाड़ी खरीदना लोग शुभ मानते हैं ...
रीति - रिवाजों से जुड़ा धन्तेरस आज व्यक्ति की आर्थिक क्षमता का सूचक बन गयी है ... एक तरफ उच्च और मध्य वर्गीय लोग धनतेरस के दिन विलासिता से भरपूर वस्तुएं खरीदते हैं ... तो वहीं दूसरी ओर निम्न वर्गीय लोग जरुरत की वस्तुए खरीद कर इस पर्व को मानते हैं ...
अंजू सिन्हा ...
पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आरंभ धन त्रयोदशी से शुरू होता है ... धन त्रयोदशी के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विशेष महत्व है ... कार्तिक मास की कृष्ण त्रियोदशी को भगवान धन्वन्तरी का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है ... कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय आज के दिन ही भगवान धन्वन्तरी अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे ... इसलिए आज के दिन बर्तन खरीदने की परम्परा है ... आज के दिन सायंकाल को मुख्य द्वार पर दीपक जलाने की प्रथा भी सदियों से चली आ रही है ... इस प्रथा के पीछे एक लोकप्रथा है कि .... किसी समय में हेम नामक राजा को दैव कृपा से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई ... ज्योतिषों के मुताबिक़ जब बालक का विवाह होगा उसके चार दिन बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा ... राजा को इस बात से काफी दुःख हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह भेज दिया ... जहाँ किसी स्त्री की परछाई भी उसपर ना पड़े ... दैवयोग के दिन एक राजकुमारी उधर से गुज़री ... और दोनों एक दुसरे को देखकर मोहित हो गयी ... और दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया ... विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया ... और विवाह के चार दिन बाद यमदूत राजकुमार का प्राण लेने आ पहुंचे ... जब यमदूत राजकुमार का प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता राजकुमारी का विलाप सुनकर यमदूत का हृदय द्रवित हो उठा ... लेकिन विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना था .... यमराज जब यमदूत को आज्ञा दे रहे थे ... उसी समय एक दूत ने विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं, जिससे मनुष्य वकाय मृत्यु के लेख से मुक्त हो जाए ... दूत के अनुरोध सुनकर यमराज बोले ... हे दूत वकाय मृत्यु तो कर्म की गाति है ... लेकिन इससे मुक्ति पाने का एक आसान तरीका मई तुम्हे बताता हूँ ... कार्तिक कृष्ण पक्ष की रात को जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दक्षिण आज के दिन यमराज की पूजा अर्चना करने से असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है ... उसी समय से लोग अकाल मृत्यु ले मुक्ति पाने के लिए आज के दिन सायंकाल को अपने द्वार पर दीपक जलाते हैं ....
आज की भाग- दौड़ भरी जिंदगी और तेजी से बदलती जीवन शैली में भी धनतेरस की परंपरा कायम है ... सभी वर्ग के लोग कई महत्वपूर्ण चीज़े खरीदने के लिए इस पर्व का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं ... आज के दिन लोग सोने-चांदी के बर्तन, सिक्के और आभूषण खरीददारी करते हैं ....
बदलते दौर के साथ लोगों की पसंद भी बदल गयी है ... अब लोग बर्तन , आभूषण के आलावा वाहन, मोबाईल आदि भी ख़रीदे जा रहे हैं ... आज के दिन गाड़ी खरीदना लोग शुभ मानते हैं ...
रीति - रिवाजों से जुड़ा धन्तेरस आज व्यक्ति की आर्थिक क्षमता का सूचक बन गयी है ... एक तरफ उच्च और मध्य वर्गीय लोग धनतेरस के दिन विलासिता से भरपूर वस्तुएं खरीदते हैं ... तो वहीं दूसरी ओर निम्न वर्गीय लोग जरुरत की वस्तुए खरीद कर इस पर्व को मानते हैं ...
अंजू सिन्हा ...